बूँद

Tuesday, June 10, 2008
ज़िंदगी के दरख्त की शाख पे
ठहरी हुई बूँद की मानिंद हो तुम
जिसे बरसना अभी बाकी है .......

- शाहिद "अजनबी"

5 comments:

  1. बहुत अच्छे दोस्त
    मज़ा आ गया।
    ये बूंद बरसेगी और बरसकर रहेगी।
    शुभकामनाएं।

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  2. शक्रिया दोस्त
    ऐसी प्रतिक्रिया पढ़कर दिल तक खुशी हुई इंतजार है कब बरसती है वो बूंद...

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  3. Mubarak ho aapko.
    ki aap itna achcha likh lete h.

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  4. bahut hi khubsurat really............

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