बूँद
ज़िंदगी के दरख्त की शाख पे
ठहरी हुई बूँद की मानिंद हो तुम
जिसे बरसना अभी बाकी है .......
- शाहिद "अजनबी"
ठहरी हुई बूँद की मानिंद हो तुम
जिसे बरसना अभी बाकी है .......
- शाहिद "अजनबी"
सफर तवील है तू मायूस न हो मैं दूर सही मेरी दुआएं तेरे साथ हैं
एक दुनिया ऐसी भी जहाँ सिर्फ , ग़ज़ल, नज़्म , दर्द और पागलपन ...
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बहुत अच्छे दोस्त
ReplyDeleteमज़ा आ गया।
ये बूंद बरसेगी और बरसकर रहेगी।
शुभकामनाएं।
शक्रिया दोस्त
ReplyDeleteऐसी प्रतिक्रिया पढ़कर दिल तक खुशी हुई इंतजार है कब बरसती है वो बूंद...
mubarak ho
ReplyDeleteMubarak ho aapko.
ReplyDeleteki aap itna achcha likh lete h.
bahut hi khubsurat really............
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