सुना है वो बदल गया
सुना है वो बदल गया, फिर तो वो जरूर कोई आदमी रहा होगा..
(जो न समझ सके हों वो गुलज़ार सा'ब का ये शे'र जेहन में ले आयें-
वक्त रुकता नहीं कहीं टिक कर, इसकी आदत भी आदमी सी है.)
सफर तवील है तू मायूस न हो मैं दूर सही मेरी दुआएं तेरे साथ हैं
एक दुनिया ऐसी भी जहाँ सिर्फ , ग़ज़ल, नज़्म , दर्द और पागलपन ...
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