वसीम साहब
11.09.2011
अभी पिछले दिनों ही ईद गुजरी
है. लेकिन सही मायनों में तो मेरी कल ईद हुई. वसीम साहब ने मुझे सीने से लगाया भी और दुआओं से नवाज़ा भी. ये
रात कभी नहीं भूलेगी. अपने सीने से से ऐसे
चिपका लिया , जैसे अपना सारा इल्म मुझमें उड़ेल रहे हों.
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