ऐ दोस्त ! चल छोड़ यार
14.05.2014 ऐ दोस्त ! चल छोड़ यार कहीं और चलते हैं सियासत से दूर बरगद की छाँव में बचपन के गाँव में दौड़ते- दौड़ते लग जाए ...
सफर तवील है तू मायूस न हो मैं दूर सही मेरी दुआएं तेरे साथ हैं
एक दुनिया ऐसी भी जहाँ सिर्फ , ग़ज़ल, नज़्म , दर्द और पागलपन ...
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