माहे रमज़ान का साल आ गया

Friday, May 08, 2015


29.06.2014
सर पे टोपी, हाथों में रुमाल आ गया मुबारक माहे रमज़ान का साल आ गया
जंज़ीरों में क़ैद हो गया इब्लीस और दिल में काबे का ख़याल आ गया
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'



चित्र - साभार - गूगल 

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