खुशबू-ए- वतन
27.06.2014
खुशबू-ए- वतन ,
ऐ खुशबू -ए- वतन तेरे लिए हाजिर है जान -ओ -तन
- शाहिद 'अजनबी'
सफर तवील है तू मायूस न हो मैं दूर सही मेरी दुआएं तेरे साथ हैं
एक दुनिया ऐसी भी जहाँ सिर्फ , ग़ज़ल, नज़्म , दर्द और पागलपन ...
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