मैं घर के दरवाजे पे तेरा
06.04.2012
मैं घर के दरवाजे पे तेरा इंतज़ार करती रही
राहगीर गुज़रते गए मगर तुम न आये
--- शाहिद "अजनबी"
राहगीर गुज़रते गए मगर तुम न आये
--- शाहिद "अजनबी"
सफर तवील है तू मायूस न हो मैं दूर सही मेरी दुआएं तेरे साथ हैं
एक दुनिया ऐसी भी जहाँ सिर्फ , ग़ज़ल, नज़्म , दर्द और पागलपन ...
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