कितने पाकिस्तान
26.05.2013
आजकल, साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत ,
कमलेश्वर
की "कितने पाकिस्तान" पढ़ रहा हूँ.. लोग ऐसी शक की निगाहों से देखते हैं.. जैसे मैं आई. एस. आयी का एजेंट हो गया हूँ.. हंसी भी आती है और शर्म भी आती है.. ऐसे पढ़े
लिखों के बीच में बैठकर जो नासमझी को लादे घूम
रहे हैं.. ( B.TECH., M.TECH., PH. D. ) की शक्ल में.... छी
!! ऐसे समाज पर, जिनकी सोच न जाने कब
बदलेगी.. जो ये सोच कर बैठे हैं.. की हम संचार क्रांति के युग में हैं, और
भी न जाने कितने तमगे जिनके जाने कौन कौन सी क्रांति नाम दिया गया है.. हद है....छी!! !!
- शाहिद अजनबी
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