आफताब के माफिक रोशन रहो तुम

Wednesday, May 02, 2007
आफताब के माफिक रोशन रहो तुम
बहारों के दरमियाँ हर दम रहो तुम
ज़िन्दगी की रानाई को करीब से देखो
ताउम्र यूँ ही हँसते रहो तुम

--शाहिद "अजनबी"

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