मुझको इतने से काम पे रख लो

Tuesday, April 28, 2015


28.05.2013
मुझको इतने से काम पे रख लो ll
मुझको इतने से काम पे रख लो...

जब भी सीने पे झूलता लॉकेट
उल्टा हो जाए तो
मैं हाथों से सीधा करता रहूँ उसको
मुझको इतने से काम पे रख लो...

जब भी आवेज़ा उलझे बालों में
मुस्कुराके बस इतना सा कह दो -
'आह चुभता है ये अलग कर दो !'
मुझको इतने से काम पे रख लो...

जब ग़रारे में पाँव फँस जाए
या दुपट्टा किवाड़ में अटके
एक नज़र देख लो तो काफ़ी है
मुझको इतने से काम पे रख लो...

'प्लीज़' कह दो तो अच्छा है
लेकिन मुस्कुराने की शर्त पक्की है
मुस्कुराहट मुआवज़ा है मेरा
मुझको इतने से काम पे रख लो...

(आवेज़ा : कान का बुंदा)
गुलज़ार साहब को सलाम के साथ, जिन्हें इन दिनों एक बार फिर शिद्दत से पढ़ रहा हूं. याद कर रहा हूं.

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