छोटे- छोटे सवाल
27.10.2013
शिक्षा व्यवस्था पे चोट करती हुयी नॉवेल
"छोटे- छोटे सवाल" आज पूरी की इतने पहले
लिख दी गयी ये किताब शिक्षा के व्यवसायीकरण को
ब- खूबी बयाँ करती है.. पन्ने दर पन्ने एक -एक बात खोलती
है..
दुष्यंत कुमार जी ने बहुत खूबसूरत अंदाज़ से छोटे- छोटे सवालों को कटघरे में खड़ा किया है- उसी किताब से ये अंश देखें-
" यही हम लोगों की भूल है कि हम केवल इम्पोर्टेंट सवालों को महत्व देते हैं और छोटे- छोटे सवालों की उपेक्षा करते जाते हैं. किन्तु इन्हीं बड़े सवालों के पीछे भटककर जीवन में जब हमें अपनी असफलता का बोध होता है तो लगता है अब छोटे सवालों को हल करने का भी समय नहीं रहा. और तब हमें उपलब्धि के रूप में मिलता है शून्य, जिसे तुम लोग ज़ीरो कहते हो....
- Shahid Ajnabi
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