माना कि तुम

Tuesday, December 25, 2007
माना कि तुम
किस्मत की लकीरों को नहीं बदल सकती
मगर
मेरी किस्मत तो हो सकती हो !
माना कि तुम
ज़िंदगी का दरख्त नहीं बन सकती
मगर
खिज़ा का फूल तो हो सकती हो !
माना कि तुम
मुहब्बत की धड़कन नहीं बन सकती
मगर
अहसास-ऐ-मुहब्बत तो हो सकती हो !!!
-शाहिद "अजनबी"

2 comments:

  1. " na sajao aise khawab jo apne ho nhi skte,
    hatho ki lakeero pe aitwar kar nhi sakte,
    mit jate hai wo chand khwab bhi jo kismat ke bharaso bante hai ,
    kyoki man lene se zindgi chal nhi sakte."

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