Thursday, April 30, 2015

ऐ दोस्त ! चल छोड़ यार

14.05.2014 ऐ दोस्त ! चल छोड़ यार कहीं और चलते हैं सियासत से दूर बरगद की छाँव में बचपन के गाँव में दौड़ते- दौड़ते लग जाए ...
Thursday, April 30, 2015

वतन पे मरने वालों का

शहीदों की चिताओं पे लगेंगे हर बरस मेले , वतन पे मरने वालों का यही बाकी निशां होगा 23.03.2015
Thursday, April 30, 2015

किताबें झाँकतीं हैं

20.03.2013 किताबें झाँकतीं हैं बंद अलमारी के शीशों से , महीनों अब मुलाकातें नहीं होतीं जिनकी सोहबत में कटा करती थी शामें .... ...
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