Friday, July 02, 2010

शाम जाया कर दी

इक शाम और जाया कर दी हमेशा की तरह देखकर यूँ ही चंद तमाशे और झूठी तालियों के दरमियाँ तमाम बनावटी चेहरे भागती हुई ज़िन्दगी की रेस से ...
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