इक तवक्को
ये शाम के धुंधलके और मुहब्बत के साये हलकी- हलकी गहराती ये खुबसूरत रात छत की मुंडेर पे बैठी मुहब्बत से लबरेज वो मासूम सी दुपट्टे को ...
सफर तवील है तू मायूस न हो मैं दूर सही मेरी दुआएं तेरे साथ हैं
एक दुनिया ऐसी भी जहाँ सिर्फ , ग़ज़ल, नज़्म , दर्द और पागलपन ...
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