जज़्बात
जज़्बात के कागज़ से मैंने बुनी थी एक पतंग सांसों कि डोर से चाह था उसको उडाना दूर कहीं आसमानों मैं हवाओं का रुख मेरे हक मैं था बरसात का अ...
सफर तवील है तू मायूस न हो मैं दूर सही मेरी दुआएं तेरे साथ हैं
एक दुनिया ऐसी भी जहाँ सिर्फ , ग़ज़ल, नज़्म , दर्द और पागलपन ...
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